दोस्तों तो आज हम इस लेख में जानेगे की गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है और गणेश चतुर्थी क्या है आज की इस पोस्ट में हम आपको पूरी जानकरी बतायेगे जो यह त्यौहार होता है वो हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार होता है इस तेहार को हम दस दिन तक मानते है गणेश भगवन शंकर और गोरा पार्वर्ती के पुत्र है गणेश भगवन एक सो आठ नमो से जाने जाते है।
गणेश भगवन जो है उनकी सब देब्ताओ में से सबसे पहले पूजा की जाती है गणेशा भगवन जो है उनकी पूजा हम उनके जन्म दिन पर ही करते है और इसे हम तभी मानते है ऐसे बहुत से राज्ज है जो इस त्यौहार का इंतजार करते है जैसे की में महाराष्ट इस राज्ज में इस त्यौहार का बहुत ही इंतजार रहता है।
इस साल में गणेश चतुर्थी त्यौहार 22 दिसम्बर में है और गणेश भगवान ज्ञान और सौभाग्य के प्रतीक है भगवान गणेश जी की पूजा पुरे भारत में की जाती है और इसे हर व्यक्ति पूजता है तो आज हम आपको इस लेख यह बतायेगे की गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है इसकी पूरी जानकारी हम आपको बतायेगे तो बने रहिये इस पोस्ट में हम आपको स्टेप बाई स्टेप बतायेगे।
गणेश चतुर्थी क्या है जानिए :-
हिंदुओ धर्मो का गणेश चतुर्थी त्योहार बड़ा ही प्रमुख हैं पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था गणेश चतुर्थी के पॉप है और आस पास के लोग जो है वो ज्यादा से ज्यादा संख्या में आते है दर्शन करने के लिए आते हैं 10 दिनो तक हम इस त्योहार को मानते है और यह त्योहार को हिंदू धर्म के लोग मानते है भगवान गणेश जी की पूजा करते और 11 दिन बड़े ही धूम धाम से हम नदी में विसर्जन करते है।
इस त्योहार को भारत के बहुत देशों में मनाया जाता है और गणेश चतुर्थी सबसे ज्याद महाराष्ट्र के लोग बड़े ही धूम धाम से मनाते है महाराष्ट में बहुत दूर दूर से लोग आते है गणेश चतुर्थी के त्योहार पर महाराष्ट राज्य में गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा त्योहार मानते है।
गणेश चतुर्थी कब से मनाते हैं:-
गणपति उत्सव सन 1893 में शुरू हुआ था 1893 के पहले भी मनाते थे मगर अपने घर तक ही सीमित था तथा अपने घर में ही गणपति उत्सव का त्यौहार मानते थे गणेश चतुर्थी इसकी शुरूआत महाराष्ट्र के बल गंगाधर तिलक जो है उनने की थी इसलिए महाराष्ट्र में गणपति उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है गणेश चतुर्थी उत्सव शुरू करने में बाल गंगाधर तिलक को काफी मुश्किल का और विरोध का सामना करना पड़ा था।
अंग्रेजो से भारत को आजाद करने के लिए गणेश उत्सव सार्वजनिक एक लूट करने का एक जरिया बनाया था महाराष्ट में आज भी इतनी धूम धाम से गणेश चतुर्थी मनाई जाती है कि महाराष्ट में बहुत दूर-दूर तक के लोग आते है वह की गणेश चतुर्थी देखने के लिए।
गणेश भगवन का जन्म :-
दोस्तो तो अब हम जानेगे की गणेश का जन्म कब हुआ था भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुल्क और शुक्ल पक्ष को हुआ था इसलिए गणेश चतुर्थी इसी दिन को मनाई जाती और लोग गणेश चतुर्थी को बड़े धूम धाम से मनाते है श्री गणेश भगवान जी का जन्म दिन में हुआ था इस लिए हम गणेश चतुर्थी इसी दिन को मानते गई है।
और भगबान गणेश जी बुद्धि और सौभाग्य के देवता है भाद्रपद शुल्क को ही उनका जन्म हुआ था और भगवान श्री गणेश जी की पूजा बड़े धूम-धाम से मनाते है।
गणेश जी पूजा कैसे मानते है जानिए :-
भगवन गणेश जी की पूजा कैसे मानते है हम आपको बता देते है जिससे आपको पता चले गणेश चतुर्थी 22 दिसम्बर से है इससे हम शुल्क चतुर्थी भी कहते है इस त्यौहार को हम आपको चार रिवाज बता देते है जैसे की पहले दिन हम भगवन गणेश जी की मूर्ति को लाते है और उसे स्थापित करते है जब हम स्थापित कर देते है फिर हम इनकी 16 रूपों की पूजा करते है और हम भगवन गणेश जी की प्रतिमा स्थान्तरिक करते है हम उनकी पूजा 10 दिन तक करते है और 11 में दिन हम उनको विसर्जित कर देते है जैसे हम हर साल मानते है।
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गणेश चतुर्थी क्यों मनाते है :-
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास शुक्ल की चतुर्थी को पूरे भारत देश में बडी धूम धाम से मनाया जाता है कहा जाता कि आज के दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं इसके पीछे पुराणों के अनुसार कई कथाएं भी हैं जिनमें से एक आज हम आपको बताने जा रहे है आगे और पढ़े
गणेश चतुर्थी की कथा :-
कहा जाता है कि पुराणिक काल में एक बार महा ऋषि देवव्याश जी ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी की अराधना कि और गणेश जी से कहा कि महाभारत की रचना कर दो तब गणेशजी ने कहा कि जो मेने लिखने के लिए कलम शुरु कर दी तो में रुकुगा नही यदि कलम रूक गई तो मैं लिखना बंद कर दुगा तब व्यास ने कहा प्रभु आप तो विद्वानों के विद्वान हैं और में एक साधार ऋषि आप तो बिना समझे ही त्रुटि का निवारण कर सकते हैं।
आज के दिन से ब्यासजी ने श्लोक बोलना गणपति जी ने महाभारत की रचना लिखना शुरू कर दिया था और 10 दोनो तक यानी भाद्रमास की अंतिम शुल्क तक लिखते रहे इन 10 दिनो में गणेश जी एक ही स्थान पर बैठ कर महाभारत की रचना का कार्य करते रहे इस कारण उनका शरीर जड़वत हो गया और उनके शरीर पर धूल मिट्टी की एक परत जमा हो गई थी इन 10 दिनो के बाद गणेश जी सरस्वती नदी में स्नान करके अपने शरीर धोके साफ किया।
तब उस समय से गणेश चतुर्थी मनाई जाती हैं जिस दिन भगवान गणेश जी ने महाभारत की रचना लिखना शुरू किया तब भाद्रपद मास की शुल्क तृतीया तिथि थी इसलिए हर साल उसी तिथि को गणेश स्थापित कि जाती है और 10 दिनो तक उनकी पुजा करके गणेश चतुर्थी मनाई जाती हैं।
गणेश चतुर्थी व्रत कथा:-
कहते हैं कि इस दिन जो भी व्रत करता उस पर गणेश जी प्रसन्न होकर उसके सारे दुःख हरके विघ्न दूर करते हैं और सुख सम्पत्ति प्रदान करते हैं धार्मिक दृष्टि से देखे तो गणेश चतुर्थी व्रत की कई कथाएं हैं जिनमें से एक आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक समय की बात है जब देवताओं पर संकट आया तो उसके निवारण के लिए सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे उस समय भगवान शिव और माता देवी पार्वती अपने दोनो पुत्रो के साथ बैठे थे।
तब देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव जी ने अपने दोनो पुत्रो से प्रशन किया की देवताओं की मदत करने के लिए कोन जाएगा तो दोनो पुत्रो ने एक साथ मिलकर ही कहा जाउगा तो शिवजी सोच में पड़ गए कि किसको भेजे तो तब भोलेनाथ एक उपाय सोचा और शिवजी ने अपने दोनो पुत्रो तथा कार्तिकेय और गणेश से कहा जो भी इस पूरे के ब्राह्मण के सात परिक्रमा पूरी करके आएगा तो फिर वही देवताओं के संकट का निवारण करने को जायेगा।
इतनी बात सुनकर कार्तिक अपने वाहन पर बैठ कर ब्राह्मण की परिक्रमा करने को चले गए तो गणपति बप्पा सोचने लगे कि में एक चूहा पर बैठ कर ब्राह्मण के सात परिक्रमा केसे करुगा तो फिर गणेश जी बडी चतुराई दिखाते हुए अपने माता पिता तथा भगवान शिव और माता पार्वती देवी के चरणो की सात परिक्रमा पूरी करके बैठ गए।
और कार्तिकेय के आने का इंतजार करने लगे ये सब देखकर देवताओं के साथ शिव जी तंग रह गए की आखिर परिक्रमा करने की वजह बैठ क्यों गए भगवान शिव ने गणेश जी से परक्रीमा न करने का कारण पूछा तो गणेश जी ने कहा कि माता पिता के चरणो में ही सब लोक होते हैं।
ये जबाव पा कर शिव जी बड़े प्रसन्न हुए और देवताओं की मदत करने का कार्य सोपा और साथ ही ये वरदान दिया कि हर चतुर्थी को जो भी तुम्हारी पूजा और उपवास करेगी तो उसके सारे दुःख और काष्ठ दूर होगे और उसके घर में सुख शांति तथा संपत्ति का आगमन होगा इसलिए गणेश चतुर्थी का व्रत करना शुरू हुआ था।
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गणेश चतुर्थी का महत्त्व:-
कथा और पुराणों के अनुसार भगवान गणेश जी को ज्ञान और सौभाग्य का माना जाता है और किसी शुभ करने से पहले उनका आर्शीबाद के लिए गणेश जी की पूजा कि जाती हैं और उनका आर्शीबाद लेने के लिए उनके भक्तों को गणपति बप्पा मोरया का जाप करना चाहिए इसके अलावा लोग भगवान गणेश जी के सम्मान में उपवास रखते हैं और अपने जीवन को खुशाल रखते हैं और उनका आर्शीबाद लेने के लिए अपने घर में दीपक जलाते है।
इतिहास :-
भगवान गणेश हिंदू धर्म में सबसे पहले महत्वपूर्ण देवताओ में से एक हैं उनका गणेश चतुर्थी को जन्म हुआ था हालाकि देवी पार्वती को एक गुफा में स्नान करने के लिए जाना था तो द्वार से पहरा देने के लिए कोई भी नही था तो देवी पार्वती जी ने चंदन के पृष्ट का उपयोग करके गणेश जी को बनाया और कहा कि मैं अंदर स्नान करने के लिए जा रही हूं किसी को भी द्वार प्रवेश मत करने देना भगवान गणेश जी ने अपने कार्य को बखूबी निभाया और किसी को भी द्वार के अंदर न जाने दिया।
यहां तक कि अपने पिता भगवान शिव और माता पार्वती के पति को भी द्वार प्रवेश न करने दिया जिससे वह बहुत क्रोधित में आके भगवान गणेश जी का शिर काट दिया और उनका वध कर दिया और यह देख कर देवी पार्वती बहुत दुखी हुईं और उनको दुखी देखकर भगवान शिव जी ने अपने पूत्र को पुनः जीवित करने के लिए अपने देवता जानो से कहा कि इस कोई जीव का सिर लाओ जो अपने वच्चो को पिट दिखा कर बैठती हो तो भगवान शंकर जी के आदेश का पालन करके देवता जन जंगल मे चले गए उस जीव को ढूढ़ने के लिए गए तो उने हाथी मिला था तो भगवकन शंकर जी ने भगवान गणेश का शिर बदल कर एक हाथी का शिर बना दिया तभी से उन गणेश भगवान कहते है।
आखिरी सब्द :-
दोस्तो तो में उम्मीद करता हु की आप सभी को हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा हमने आपको इस पोस्ट में बताया है कि गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है इसे बहुत से लोग है जो यह नही जानते कि गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है।
दोस्तो तो हम आपको इस पोस्ट के जरिये बात दिया है कि गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है इस लेख को आप आसानी से पढ़ कर समझ सकते है कि यह त्योहार क्यों मनाया जाता है और कब से मनाया जाता है इसमे हमने गणेश भगवान की पूरी कहानी दी है जिससे आप समझ सकते है कि गणेश जी की पूजा कब से की जाती है और क्यों कि जाति है।
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जय हिंद जय भारत धन्यवाद
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